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पानी में आग लगा देँगेँ (कविता)
पहचानने को हम भुलेँ नहिँ
आँख मुंदकर हम बेठेँ नहिँ
स्वतंत्रता हमारी थी और हमारी रहेगी
देश के लिए कल वो मरेँ,
तो आज हम भी मर सकतेँ हैँ
भारत माता के अरमान पुरे कर सकतेँ हैँ
पर साथी मेरे गुमराह हो जाते हैँ
थोडेँ से लालच मेँ नुक्सान देश को पँहुचा देते हैं
भुल जातेँ हैँ वो जो आए थे देश के लिए
पर अपने आप मेँ खो जाते हैँ
पर युँ मत क्हना कि हम हो ग्ए हैँ स्वार्थी
देश के लिए हम ऊठां देँगे दुशमनोँ की अर्थी
आसमाँ को चरणोँ मेँ झुका देँगेँ
रुख हवा का बदल देँगेँ
आपको कोई कष्ट ना हो
वरना हम अपनी जान न्यौँछावर कर देँगेँ
युँ मत समझना के बना ले जाएगा तुम्हेँ कोई गुलाम
तेरे लिए हम पानी मेँ आग लगा देँगेँ
Writer: Ashish Ghorela
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