Articles
Recent Hindi Articles posts -->
मुर्खता का परिणाम
दशहरा के दिन करीब आते जा रहे है। एक दिन मन मे खयाल आया कि क्योँ न हम इसे अलग तरीके से मनाए। केवल पुतले को जलाने से क्या होता है? इससे केवल प्रदुषण और धन बर्बादी होती है। बहुत सोचने के बाद मन मे खयाल आया कि हम इस बार रावण तो जरुर जलाँएगे पर नकली नहीँ बल्कि असली। हाँ अपने अदंर छुपे रावण को।
फिर मैने एक खंजर निकाला और छाति मे गाड़ लिया। थोड़ा दर्द हुआ परंतु अदंर के रावण तक नहिँ पहुँचा। फिर सोचा कि यह खँजर छोटा है तो मयान से चमकती तलवार निकाली और शरिर के दुसरे पार निकाल दी। इस बार दर्द बहुत ज्यादा हुअ भीर भी अदंर का रावण नहिँ मरा।
फिर अतंकाल समझ आया कि मन का रावण केवल मन से ही मरता है। मैँ बहुत बड़ा मुर्ख था जो उसे अस्त्र और शस्त्र से मारना चाहता था। इसका परिणाम मुझे मौत मीली है।
इसलिए तुम कभी भी ऐसा काम मत करना कि फिर बाद मे पछताना पड़े। इसलिए कुछ भी करने से पहले हमेँ उसके परिणाम को सोच लेना चाहिए और बात हो मन के रावण/राक्षस मारने की तो उसे केवल मन से ही मारा जा सकता है। क्योकिँ लोहे को लोहा काटता है॥
Writer: Ashish Ghorela
>>
Share to: facebook twitter Google
Visitor: T:63573 M:24 W:9 D:9